नई दिल्ली: कॉमनवेल्थ खेलों की मेजबानी करना किसी भी देश के लिए गर्व का विषय होता है, लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने 2026 में होने वाले कॉमनवेल्थ खेलों की मेजबानी से इंकार कर दिया है। यह निर्णय कई लोगों को आश्चर्यचकित कर सकता है, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया खेलों के लिए एक प्रमुख राष्ट्र माना जाता है। लेकिन इसके पीछे कुछ महत्वपूर्ण कारण हैं, जिनका असर देश की अर्थव्यवस्था और खेल आयोजनों की प्रबंधन पर पड़ता है।
1. बढ़ती लागत
ऑस्ट्रेलिया की विक्टोरिया सरकार ने घोषणा की कि 2026 के कॉमनवेल्थ खेलों की अनुमानित लागत अपेक्षा से काफी अधिक हो गई है। प्रारंभिक अनुमान में खेलों के आयोजन की लागत लगभग 2.6 बिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर आंकी गई थी, लेकिन बाद में यह लागत 6 से 7 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया। इतनी भारी लागत को देखते हुए, विक्टोरिया सरकार ने मेजबानी से हटने का फैसला किया।
2. आर्थिक चुनौतियाँ
कोविड-19 महामारी के बाद कई देशों की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है, और ऑस्ट्रेलिया भी इससे अछूता नहीं रहा है। देश की सरकार को स्वास्थ्य, शिक्षा, और बुनियादी ढांचे में निवेश को प्राथमिकता देनी पड़ी। ऐसे में खेलों के आयोजन पर इतना अधिक खर्च करना आर्थिक दृष्टि से समझदारी नहीं माना गया।
3. क्षेत्रीय विकास की प्राथमिकता
विक्टोरिया सरकार का ध्यान राज्य के क्षेत्रीय विकास पर है। सरकार ने घोषणा की थी कि कॉमनवेल्थ खेलों के आयोजन के लिए वे क्षेत्रीय शहरों में खेल गांवों का निर्माण करेंगे, लेकिन इसकी लागत बढ़ती चली गई। इन गांवों के निर्माण, परिवहन, और बुनियादी ढांचे की लागत ने सरकार के वित्तीय प्रबंधन को चुनौती दी, जिससे खेलों की मेजबानी मुश्किल हो गई।
4. विकल्पों की कमी
जब ऑस्ट्रेलिया ने मेजबानी से इंकार किया, तो कॉमनवेल्थ गेम्स फेडरेशन (CGF) को नई मेजबानी की तलाश करनी पड़ी। हालांकि, इतने कम समय में किसी अन्य देश के लिए इन खेलों का आयोजन करना एक बड़ी चुनौती है। अन्य देशों ने भी मेजबानी में रुचि दिखाने के बजाय खेलों की उच्च लागत को देखते हुए पीछे हटने का फैसला किया है।
5. जनता की राय
ऑस्ट्रेलिया की जनता और मीडिया ने भी इस निर्णय को व्यापक रूप से समर्थन दिया है। कई लोगों का मानना है कि खेलों के आयोजन पर इतना भारी खर्च करने से बेहतर है कि इसे शिक्षा, स्वास्थ्य, और अन्य आवश्यक सेवाओं पर खर्च किया जाए।
निष्कर्ष
ऑस्ट्रेलिया का कॉमनवेल्थ खेलों की मेजबानी से इंकार करना एक महत्वपूर्ण आर्थिक और राजनीतिक निर्णय है। खेलों की बढ़ती लागत और देश की आर्थिक चुनौतियों को देखते हुए, यह निर्णय सरकार के वित्तीय प्रबंधन के प्रति जिम्मेदारी का प्रतीक है। हालांकि यह खेल प्रेमियों के लिए निराशाजनक हो सकता है, लेकिन लंबे समय में यह देश के विकास और स्थिरता के लिए सही कदम साबित हो सकता है।

.jpeg)